Thursday, June 14, 2018

भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था

भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था


·         भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था से तात्‍पर्य ऐसी व्‍यवस्‍था से है, जिसमें व्यक्तियों, वित्तीय संस्‍थाओं, बैंकों औद्योगिक कम्‍पनियों तथा सरकार द्वारा वित्त की मॉंग होती है तथा इसकी पूर्ति करना है
·         भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था के दो पक्ष है--
o    पहला मॉंग पक्ष
o    दूसरा पूर्ति पक्ष
·         भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था को दो भागों में बांटा गया है-
o    भारतीय मुद्रा बाजार तथा
o    भारतीय पूंजी बाजार
·         भारतीय मुद्रा बाजार को तीन भागों में बांटा गया --
o    असंगठित क्षेत्र
o    संगठित क्षेत्र में बैंकिंग क्षेत्र
o    मुद्रा बाजार का उप-बाजार
·         असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत देशी बैंकर, साहूकार और महाजन आदि परम्परागत स्‍त्रोत आते है। ग्रामीण तथा कृषि साख में जब भी इसकी महती भूमिका होती है।
·         संगठित क्षेत्र मं भारतीय रिजर्व बैंक शीर्ष संस्‍था है, तथा इसके  अतिरिक्‍त सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक तथा अन्‍य वित्तीय संस्थाएँ आती है।
·         रिजर्व बैंक देश में मौद्रिक गतिविधियों के नियमन का नियंत्रण करता है।
·         भारतीय रिजर्व बैंक के दो प्रकार के कार्य है --
o    सामान्‍य केन्‍द्रीय बैंकिंग कार्य
o    विकास सम्बन्धी और प्रवर्तक कार्य।
·         सामान्‍य केन्‍द्रीय बैंकिंग कार्य के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा निम्नलिखित कार्य किये जाते है--
o    करेंसी नोटों का निर्गमन
o    सरकारी बैंकर का काम
o    बैंकों के बैंक का काम
o    विदेशी विनिमय को नियंत्रित करना
o    साख नियंत्रण
o    ऑंकडों को संग्रहण और प्रकाशन
·         विकास सम्बन्धी एवं प्रवर्तक कार्य के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक का कार्य निम्‍न प्रकार है -
o    मुद्रा बाजार पर प्रतिबन्‍धात्‍मक नियंत्रण
o    बचतों को बैंको व अन्‍य वित्तीय संस्‍थाओं के माध्यम से उत्‍पादन के लिए उपलब्‍ध कराना
o    लोगों में बैंकिंग की आदत बढानें के लिए प्रयास करना आदि।
·         बैंकिंग की आदत बढाने के उद्देश्‍य से ही सन् 1964 मं भारतीय यूनिट ट्रस्‍ट (UTI) की स्‍थापना की गई।
·         सन् 1963 मं कृषि पूनर्वित एवं विकास निगम की स्‍थापना की गई।
·         भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख पर नियंत्रण निम्‍न तरीकों से किया जाता है --
o    बैंक दर नीति द्वारा
o    खूले बाजार की क्रियाओं द्वारा
o    बैंकों की नकद कोष सम्बन्धी वैधानिक आवश्यकताओं में परिवर्तन करके।
o    तरलता सम्बन्धी वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करके
o    विभेदक ब्‍याज-दरों की प्रणाली अपनाकर
o    चयनात्‍मक साख नियंत्रण नीति से
o    नैतिक प्रभाव की नीति द्वारा
नोट : बैंकों के ग्राहकों की शिकायतों का निदान कराने के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना भारत में रिजर्व बैंक मं 14 जून, 1995 , में लागू किया था।

बैंकिंग क्षेत्र की प्रचलित शब्‍दावली
·         बैंक दर : जिस सामान्‍य ब्याज दर रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार दिया जाता है, 'बैंक दर' कहलाती है । इसके माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा सााख नियंत्रण/ क्रेडिट कन्‍ट्रोल किया जाता  हे।
·         रेपो रेट : अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस ब्याज दर कॉमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक से नकदी ऋण प्राप्‍त करते है, 'रेपो रेट' कहलाती है।
·         रिवर्स रेपो दर : अल्पकालिक अवधि के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कॉमर्शियल बैंकों से जिस ब्याज दर पर नगदी प्राप्‍त की जाती है, 'रिवर्स रेपों दर' कहलाती है।
·         बचत बैंक दर : बैंक ग्राहक की छोटी-छोटी बचतों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को बचत बैंक दर कहा जाता है।
·         नकद आरक्षित अनुपात(सी.आर.आर.) : किसी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जिसे रिजर्व बैंक के पास अनिवार्य रूपर से जमा करना पडता है, नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।
·         वैधानिक तरलता अनुपात (एस.एल.आर.) : किसी भी वाणिज्यिक बैंक में कुल जमा राशि का वह प्रतिशत भाग जो नकद स्‍वर्ण व विदेशी मुद्रा के रूप में उसें अपने पास अनिवार्य रूपर से रखना पडता है वैधानिक तरलता अनुपात कहलाता है।
·         प्राइस लैडिंग रेट (पी.एल.आर.) : किसी बैंक के लिए प्राइम लैडिंग रेट वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक उस ग्राहक को जिसके संबंध में जोखिम शून्य है, को ऋण देने को तैयार है। यह दर एक तरह से आधार दर के रूप में कार्य करती है जिसका ध्‍यान में रखकर अन्‍य उद्यमियों के संबंध में बैंक अपनी ब्याज दर निर्धारित करता है।
·         आधार दर प्रणाली (बेस रेट) : आरबीआई ने पीएलआर आधारित उधार देय प्रणाली के स्‍थान पर जुलाई 2010 से आधार दर प्रणाली लागू किया है। इसकी गणना लागत आधारित सूत्र से की जाएगी यह पीएलआर से कम होगा तथा कोई भी बैंक इससे नीची दर पर किसी को उधार नहीं देगा।  

भारत में पत्र-मुद्रा
·         भारत में 1861 के पूर्व निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे द जनरल बैंक ऑफ इंडिया, द बैंक ऑफ ¥बंगाल, द बैंक आफ हिन्‍दुस्‍तान, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स आदि ने विभिन्न‍ देवनागरी लिपियों में कागजी मुद्रा निर्गत की।
·         सरकार के एकाधिकार के अन्‍तर्गत पत्र मुद्रा का निर्गमन 1861 के बाद हुआ।
·         1935 में पत्र मुद्रा का निर्गमन का दायित्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को दिया गया।
·         1938 में जॉर्ज पंचम के चित्र वाले नोट के स्‍थान पर जॉर्ज षष्‍ठ के चित्र वाले नोट जारी किये गये।
·         1947 के बाद जॉर्ज षष्‍ठ के चित्र वाले नोट के स्थान पर अशोक के स्‍तम्‍भ के सिंहों के चित्र वाले पत्र मुद्रा आई।
·         1987 में सबसे पहले महात्मा गॉधी के चित्र वाले 500 रुपये के नोट आये।
·         1996 से सभी नोटों पर अशोक के स्‍तम्‍भा के सिंहों के स्‍थान पर महात्मा गॉंधी के चित्र वाले नोट आये जो अब तक चल रहा है।
·         रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर वाई.वी. रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2005 से निर्गमित होने वाले नोटों पर नोटों के निर्गमन वर्ष छापना शुरू हुआ।
·         पहला निर्गमित नोट 1रुपए का था जो 1949 में चलन में आया जिस पर सारनाथ स्थित अशोक स्‍तम्‍भ छपा था।
·         एक रुपये का नोट वित्त मंत्रालय द्वारा निर्गमित होता है जिस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हे। जबकि एक रुपए से अधिक के नोटों का निर्गमन रिजर्व बैंक के गर्वनर के होते है।
·         भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में विभाजित था, पर 1957 में मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपनाई गयी और एक रुपए को 100 समान पैसों में बांटा गया।
·         रिजर्व बैंक द्वारा निर्गमित सभी नोटों पर हिन्दी तथा अंग्रेजी को मिलाकर कुल 17 भाषाओं में लिखा हुआ है।
·         रुपए के लिए सिम्‍बल के लिए चयनित चिन्ह की रचना आईआईटी, मुम्‍बई के स्‍नातकोत्तर उपाधि प्राप्‍त उदय कुमार ने की है। देवनागरी के '' व रोमन अक्षर R से मिलते जुलते प्रतीक चिन्ह (₹) को रुपए के प्रतीक के रूपर में स्‍वीकार किया गया है। इस प्रकार भारत अपने रुपए का अलग पहचान रखने वाला विश्‍व का पॉंचवां देश बन गया है। शेष चार मुद्राऍं है -- अमेरिकी डॉलर ($), ब्रिटिश पाउण्‍ड स्‍टलिंग (£), जापानी येन (¥), एवं युरोपीय यूरो (€)
·         कॉलमनी मार्केट : यह अत्यन्त ही अल्‍प अवधि वाले फण्‍ड का बाजार होता है जिसमें बिना किसी प्रत्‍याभूति के फण्‍ड का उधार लेना-देना होता हे। जब उधारी एक दिन की होती है तो उसे कॉलमनी कहते हे। पर जब उधारी एक दिन से अधिक होती है तो उसे कॉलनोटिस कहते है।
·         1 जुलाई, 2011 को आरबीआई द्वारा निर्गत निर्देश के अनुसार उधार लेने तथा उधार देने वाले दोनों रूपों में भाग ले सकते है
o    व्‍यापारिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को छोडकर)
o    सहकारी बैंक (भूमि विकास बैंक को छोडकर)
o    प्राथमिक डीलर
·         मुम्‍बई, कोलकाता, दिल्‍ली, अहमदाबाद तथा चेन्नई प्रमुख कॉल सेन्‍टर है। सामान्यता कॉल दर मुम्‍बई में न्यूनतम तथा कोलकाता में उच्चतम होती है।
·         ट्रेजरी बिल्‍स : यह अल्‍प अवधि की प्रतिभूतियों होती है जिसके माध्यम से सरकार उधार लेती है। इसका निर्गमन सरकार के लिए रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। वर्तमान आरबीएल 91 एवं 364 दिन की ट्रेजरी बिल्‍स निर्गमित करता है, इनकी न्यूनतम राशि 25000 रुपया तक इसकी गुणक में होती है।
नोट : भारत में ट्रेजरी बिल्‍स पहली बार 1917 में निर्गत की गयी ।
·         ऐडहॉक ट्रेजरी बिल्‍स : यह सरकार की अत्यन्त ही अस्थायी फण्‍ड संबंधी आवश्‍यकता की पूर्ति के लिए निर्गमित की जाती है। यह रिजर्व बैंक के नाम से निर्गमित होती है। भारत में इसकी शुरूआत 1955 में की गयी थी लेकिन 1997-98 की बजट से इसे बंद कर दिया गया।
नोट : तरलता की दृष्टि से प्रतिभूतियों एवं ऋणों का अनुक्रम क्रमश: नकद, ऐडहॉक ट्रेजरी बिल्‍स, ट्रेजरी बिल्‍स एवं कॉलमनी
·         DHFI अर्थात डिस्‍काउन्‍ट एंड फाइनेन्‍स हाउस आफ इंडिया लिमिटेड, मुद्रा बाजार की एक विशिष्ट संस्‍था हे जिसकी स्‍थापना सन् 1988 में की गई थी इसका कार्य बैंकों का वित्तीय संस्‍थाओं की कटौती और फिर कटौती की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
·         भारतीय पूँजी बाजार को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जाता है -- गिल्‍ड एज्‍ड बाजार और औद्योगिक प्रतिभूति बाजार।
·         गिल्‍ड एज्‍ड बाजार में रिजर्व बैंक के माध्यम से सरकारी और अर्द्ध सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता हे।
·         औद्योगिक प्रतिभूति बाजार में नये स्‍थापित होने वाले या पहले से स्‍थापित औद्योगिक उपक्रमों के शेयरों और डिेबेंन्‍चरों का क्रय-विक्रय किया जाता हे।
·         भारतीय पूंजी बाजार में पूँजी के स्‍त्रोत हे : अंश-पूँजी, ग्रहण-पत्र इसके अतिरिक्‍त स्‍त्रोत के रूप में वे संस्‍थाऍं भी हैं, जो वित्तीय मध्यस्थ की भूमिका निभाती हैं। ऐसी संस्‍थाऍं है--
o    मर्चेन्‍ट बैंक
o    म्‍यूचुअल फण्‍ड
o    लीजिंग कम्‍पनियॉं
o    जोखिम पूँजी कम्‍पनियॉं आदि
·         UTI अर्थात भारतीय यूनिट ट्रस्‍ट भारत की सबसे बडी म्‍यूजुअल फण्‍ड संस्‍था है।
·         स्‍टॉंक एक्‍सचेंज एक ऐसी व्यवस्था का बाजार है, जिसमें छोटे निवेशक निवेश कर सकते है तथा मौजूद प्रतिभूतियों का आसानी से क्रय-विक्रय कर सकते हे।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड  (SEBI)
·         भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्‍थापना 12 अप्रैल 1988 को आर्थिक उदारीकरण की नीति के अन्‍तर्गत पूँजी बाजार में निवेशकों की रुचि बढाने तथ उनके हितों की रक्षा के उद्देश्‍य से की गई थी । 30 जनवरी 1992 को एक अध्यादेश के द्वारा इसे वैधानिक दर्जा भी प्रदान कर दिया गया  है। सेबी अधिनियम को संशेाधित कर 30 जनवरी 1992 को सेबी को म्‍युचुअल  फंडो एवं स्‍टॉक मार्केट के नियंत्रण के अधिकार दिये गये है।
·         सेबी का मुख्‍यालय मुम्‍बई में बनाया गया है, जबकि इसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, दिल्‍ली तथा चेन्नई में भी स्‍थापित किये गये ।
·          सेबी का सम्‍पूर्ण प्रबन्‍धन छह सदस्यों की देख रेख में किया जाता हे। इसका अध्यक्ष केन्‍द्र सरका द्वारा नामित विशिष्ट योग्यता प्राप्‍त व्‍यक्ति होता है तथ दो सदस्‍य केन्‍द्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों में से ऐसे व्‍यक्ति नामित किये जाते हे जो वित्त एवं कानून के विशेषज्ञ होते हे। सेबी के प्रबन्‍धन में एक सदस्‍य भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से तथ दो सदस्यों का नामांकन भी केन्‍द्र सरकार द्वारा होता है। सेबी के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता हे किन्तु कोई व्‍यक्ति अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक ही इस पद पर रह सकता है।
·         भारतीय पूँजी बाजार को विनियमित करने की वैधानिक शक्तियां अब सेबी को ही प्राप्‍त है।

भारत के प्रमुख शेयर बाजा
1.   राष्‍ट्रीय शेयर बाजार (नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज) : राष्‍ट्रीय शेयर बाजार की स्‍थापना की संस्‍तुति 1991 में फेरवानी समिति ने की थी। 1992 में सरकार ने भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) को इस बाजार की स्‍थापना का कार्य सौंपा। IDBI ही राष्‍ट्रीय शेयर बाजार का प्रमुख प्रवर्तक है। राष्‍ट्रीय शेयर बाजार NSE की प्रारंभिक अधिकृत पूँजी 25 करोड रुपये है इसका मुख्‍यालय दक्षिण मुम्‍बई मं वर्ली में हे।
2.   बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज (BSE) : इसकी स्‍थापना 1875 में स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज मुम्‍बई के नाम से किया गया जिसे 2002 में बदल कर बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज कर दिया गया। 19 अगस्‍त 2005 से BSE एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में रूपान्‍तरित हो गया हे। इसमें वर्तमान में 4800 से भी अधिक भारतीय कम्‍पनियॉं पंजीकृत हे
3.   ओवर दी काउंटर एक्‍सचेन्‍ज ऑफ इण्डिया (OTCEI) :इसकी स्‍थापना  नवम्‍बर 1992 मं मुम्‍बई में की गयी। भारत में सर्वप्रथम ऑनलाइन ट्रेडिंग सुविधा सम्‍पन्‍न कम्‍प्‍युटराइज्‍ड एक्‍यचेंन्‍ज ''नेस्‍डेक'' के आधार पर की गयी है। जिनकी पूँजी का स्‍तर 30 लाख रुपये से 25 करोड रुपये तक हो।
नोट : विश्‍व बैंक का सबसे पहला संगठित शेयर बाजार वर्ष 1602 मं एम्‍सटर्डम, नीदरलैंड्स में स्‍थापित किया गया था।
·         भारतीय कम्‍पनी अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रत्येक कम्‍पनी को पूंजी के लिए अंशों के निर्गमन का अधिकार होता है। इस प्रकार एकत्रित की गई पूँजी अंश पूंजी या शेयर कहलाती हे
·         शेयर होल्डरों के स्‍टॉक पर हुई कमाई को लाभांश कहते हे।

भारत मं प्रमुख शेयर मूल्‍य सूचकांक
1.   BSE SENSEX : यह मुम्‍बई स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज का संवेदी शेयर सूचकांक हे यह 30 प्रमुख शेयरों का प्रतिनिधित्व करता हे। इसका आधार वर्ष 1978-79 है।
2.   BSE 200 : यह बाम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का 200 शेयरों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका आधार वर्ष 1989-90 है।
3.   DOLLEX : BSE200 सूचकांक का ही डॉलर मूल्‍य सूचकांक डॉलेक्‍स कहलाता है। इसका आधार वर्ष 1989-90 है।
4.   NSE 50 : राष्‍ट्रीय स्‍टॉक एक्‍सचेंज, सूचकांक का नाम बदलकर S&P CNX Nifty रखा गया है।

भारतीय वित्त व्‍यवस्‍था से जुडे कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य :
·         भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
·         रिजर्व बैंक की स्‍थापना 1 अप्रैल 1935 को 5 करोड की अधिकृत पूँजी से हुई तथा 1 जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण किया गया।
·         रिजर्व बैंक भारत का केन्‍द्रीय बैंक है, इसका मुख्‍यालय मुंबई में है। भारत में मौद्रिक एवं साख नीति रिजर्व बैंक  द्वारा ही बनायी जाती है और लागू कि जाती है।
·         सर ऑस्‍बोर्न स्मिथ 1.4.1935 से 30.6.1937 तक आरबीआई के प्रथम गर्वनर थे।
·         प्रथम भारतीय स्वतंत्र भारत के प्रथम आरबीआई गर्वनर सी.डी्.देशमुख 11अगस्‍त1943 से 30 जून 1949 थे। इन्हीं के समय से आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया।
·         बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय एल.के.झा. आरबीआई के गर्वनर थे।
नोट : हिल्‍टन यंग आयोग पहला आयोग था जिसने केन्‍द्रीय बैंक के रूपर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की संस्‍तुति की थी।
·         भारतीय रिजर्व बैंक का लेखा वर्ष 1 जुलाई से 30 जून है
·         भारतीय मुद्रा नोटों के छपाई के लिए कपास एवं कपास के लते का उपयोग छपाई सामग्री के रूप में किया जाता हे।
·         आइबीआई व्‍यापारिक बैंको के शाखा विस्‍तार का नियमन, व्‍यापार समापन का नियमन करती हे।
·         आरबीआई व्‍यापारिक बैंको की साख सृजन क्षमता को मार्जिन बढ़ाकर नियंत्रित कर सकता है।
·         कोई भी बैंक अपनी किसी शाखा का स्थानान्तरण बिन आरबीआई की अनुमति के नहीं कर सकता
·         भारत के विदेशी व्‍यापार से सम्बन्धित आंकडे आरबीआई द्वारा एकत्रित तथा प्रकाशित होते है।
·         मुद्रा की दशमलव प्रणाली के साथ प्रचलित नया पैसा 1 अप्रैल 1957 से पैसा हो गया।
·         1 जुलाई 2011 से देश में 25 पैसे व हमसे कम मूल्‍य के सभी सिक्के प्रचलन में औपचारिक रूप से अमान्य हो गये।
नोट : भारतीय रिजर्व बैंक जम्मू एवं कश्मीर सरकार के कारोबार का संचालन नहीं करता है।
·         भारत को पहला व्यापारिक बैंक जेनरल बैंक ऑफ इण्डिया था। जिसे 1786 में खोला गया था। इसके बाद 1790 में बैंक ऑफ हिन्‍दुस्‍तान खोला गया। ये सभी बैंक युरापियन थे।
·         भारतीयों द्वारा प्रबन्धित सीमित दायित्व का प्रथम बैंक भारतीय अवध कॉमर्शियल बैंक था, जिसे 1881 में स्‍थापित किया गया था। इसके बाद 1994 मं पंजाब नेशनल बैंक स्‍थापित किया गया, जो पूर्ण रूप से भारतीयों द्वारा प्रबन्धित था।
·         सार्वजनिक बैंक वे बैंक होते जिसमें सरकार की धा रिता 51प्रतिशत से अधिक है। भारत में सार्वजनिक बैंकों के अंतर्गत 26 बैंक है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कुल बैंक का लगभग 91 प्रतिशत नियंत्रण किया जाता है।
·         सार्वजनिक बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक समूह सबसे बड़ा है, जो कुल बैंक जमा का लगभग 29 प्रतिशत का नियंत्रण किया जाता हे।
·         जीवन बीमा मं प्रवेश करने वाला देश का पहला वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक है (फ्रांस की कार्डिफ एस.ए. के साथ)
·         विदेशों में भारतीय स्टेट बैंक के सर्वाधिक कार्यालय है। इसके 28 देशों में 59 विदेशी कार्यालय है
·         नाबार्ड ने भारतीय स्टेट बैंक को स्‍वयं सहायता प्रोन्‍नयन संस्‍थान का दर्जा दिया है।
नोट : भारत मं 43 विदेशी बैंक (अप्रैल 2016) कार्यरत है, जिसमें सर्वाधिक शाखा स्‍टैण्‍डर्ड चार्टर्ड बैंक का है। वर्तमान में इसकी 100 शाखाऍं कार्यरत है।
·         प्रथम बैंक क्रेडिट कार्ड 1959 मं बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा निर्गत किया गया था।
·         देश को पहला मोबाइल बैं मध्‍यप्रदेश में खरगोन जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत है। लक्ष्‍मी वाहिनी बैंक नाम के इस चलते-फिरते बैंक की स्‍थापना एक करोड रुपए की लागत से एक मोबाइल वैन में की गयी है।
·         स्टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा देश का पहला तैरता एटीएम कोच्चि में 9 फरवरी 2004 को लांच किया गया था।
·         भारत मं सहकारी बैंकों का गठन तीन स्तरों वाला है। राज्‍य सहकारी बैंक सम्बन्धित राज्‍य में शीर्षस्थ संस्‍था होती है। इसके बाद केन्‍द्रीय या जिला सहकारी बैंक जिला स्‍तर पर कार्य करते हे। तृतीय स्‍तर पर प्राथमिक ऋण समितियां होती है, जो कि ग्राम स्‍तर पर कार्य करती हे।
·         ग्रामीण बैंक की स्‍थापना 2 अक्‍टूबर 1975 को हुई। इस दिन 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको को स्‍थापित किया गया - मुरादाबाद तथा गोरखपुर (उ.प्र), भिवानी (हरियाणा), जयपुर(राजस्‍थान) तथा माल्‍दा (पं,बंगाल)। सिक्किम और गोवा को छोडकर देश के सभी राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कार्यरत हे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको में केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकार तथा प्रवर्तक 50:15:35 के अनुपात में पूँजी लगाती है।
·         बैंकिंग प्रणाली की पुनर्रचना के सम्बन्ध में सुझाव देने हेतु 1991 में नरसिम्‍हम समिति का गठन किया गया।
·         राष्‍ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु वित्त उपलब्‍ध कराने वाली शीर्ष संस्‍था है। नाबार्ड की चुकता पूँजी 2000 करोड रुपये है, जिसमें 72.5प्रतिशत हिस्‍सेदारी आरबीआई की हे। नाबार्ड का मुख्‍यालय मुम्‍बई में है। इसकी स्‍थापना शिरमन कमेटी की संस्‍तुति पर हुई थी। किसान क्रेडिट कार्ड का आरंभ करने तथा 'स्‍वयं सहायता समूहों।' को बैंको से जोडनें में नाबार्ड की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है।
नोट : किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरूआत अगस्‍त 1998 मं तत्कालीन वित्तमंत्री यशवन्‍त सिन्‍हा द्वारा की गयी थी ।
·         UTI बैंक का नाम बदलकर एक्सिस बैंक लिमिटेड कर दिया गया है। 30 जुलाई 2007 से
·         निजी क्षेत्र में दो नये बैंक :
o    बंधन बैंक इसका उद्घाटन 23 अगस्त 2015 को कोलकाता में किया गया।
o    IDFC बैंक इसका उद्घाटन 19 अक्‍टूबर 2015 को हुआ। मुख्‍यालय मुम्‍बई में है।
·         राष्‍ट्रीय कृषि सहकारी विपणन भारतीय संघ NAFED की स्‍थापना 2 अक्‍टूबर 1958 को हुई। यह राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक शीर्ष सहकारी संगठन है। इसका प्रमुख कार्य चुनी हुई कृषि वस्‍तुओं को प्राप्‍त करना, वितरण, निर्यात तथ आयात करना है। इसने मूल्‍य स्‍तर के स्थिरीकरण तथा बाजार में उत्पादकों तथ उपभोक्ताओं दोनों के हितों की रक्षा की दिशा में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की हे।
·         राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की स्‍थापना 1963 में हुई।
·         भारतीय जन जातीय सहकारी विपणन विकास परिषद (TRIFED) की स्थापना 1987 में हुई थी।
·         भूमि विकास बैंक मूलतः: दीर्घकालीन साख उपलब्‍ध कराती है।
·         भूमि विकास बैंक का आरंभ भूमि बंधक बैंक के रूप में 1919 ई में हुआ था।
·         भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की स्‍थापना 1 फरवरी 1964 को की गई। इसने अपना कार्य 1 जुलाई 1966 से शुरू किया।
·         भारतीय औद्योगिक पुनर्निमाण बैंक (IRBI) की स्‍थापना अस्वस्थ औद्योगिक इकाइयों के पुनर्निर्माण के उद्देश्‍य से 20 मार्च 1985 में की गई।
·         भारतीय यूनिट ट्रस्‍ट 1 फरवरी 1964 को संसदीय अधिनियम से स्‍थापित किया गया। यूटिआई अब निजी क्षेत्र की कम्‍पनी हो गया।
·         भारतीय जीवन बीमा निगम का मुख्‍यालय मुंबई में हे। इस समय इसके 7 जोनल कार्यालय तथा 100 क्षेत्रीय कार्यालय है। इसकी स्‍थापना सन् 1956 में की गई थी। दिसम्‍बर 2011 में एलआईसी की चुकता पूँजी 5 करोड से बढ़ाकर 100 करोड रुपये कर दिया गया है।
·         भारतीय साधरण बीमा निगम (जीआईसी) की स्‍थापना सन् 1972 में की गई।
·         भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) का मुख्‍यालय हैदराबाद में है।

महिला बैंक :
भारतीय महिला बैंक भारत का प्रथम पूर्ण रूप सें महिलाओं का बैंक है। इसकी शुरूआत 19 नवम्‍बर, 2013 को 1000 करोड रुपए की पूँजी के साथ की गयी थी। उषा अनन्‍थ सुब्रामनियम को महिला बैंक की प्रथम प्रबन्‍ध निदेशक नियुक्त की गई।
इसका कार्पोरेट कार्यालय नेहरु प्‍लेस नई, दिल्‍ली के आईएफसी टॉवर में है। यह पहला सार्वजनिक बैंक है जो संसद के अधिनियम के द्वारा समामेलित किया गया है।
21 मई 2014 को भारतीय महिला बैंक को आरबीआई अधिनियम की दूसरी अनु सूची 1934 में शामिल करने की अधिसूचना की घोषणा की गई। भारतीय महिला बैंक को अनु सूची में शामिल किए जाने के साथ ही भारत में अनु सूचित वाणिज्यिक बैंको की कुल संख्‍या अब 90 हो गई है। इसकी 5 शाखा शीघ्र ही मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद व गुवाहाटी में काम करना शुरू करेगी।
नोट : महिला बैंक को एसबीआई में विलय की योजना प्रस्‍तावित है।
बजट (Budget) :
·         बजट शब्‍द का विकास फ्रेंच शब्‍द ''बूजेट (Bougette)'' से हुआ है। जिसका शाब्दिक अर्थ है --- एक छोटा चमडें का थैला (बैग)। इंग्‍लैंड के प्रथम प्रधानमंत्री सर रॉबर्ट वालपोल (1721-1742) ने अपने वित्तीय प्रस्ताव के दस्तावेज को चमडे के एक थैले में रखा हुआ था। जब वालपोल ने अपने वित्तीय प्रस्तावों को संसद में प्रस्‍तुत किया तो लोगों ने मजाक उडाया ओर कहा कि 'बजट खोला गया' ''द बजट ओपनड''। इसके बाद वार्षिक आय-व्‍यय के प्रस्‍ताओं के लिए बजट शब्‍द का प्रयोग होने लग।
·         भारत में बजट प्रणाली की शुरूआत का श्रेय वायसराय कैनिंग को जात है। 1859 में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में पहली बार एक विशेष सदस्‍य सर जेम्‍स विल्‍सन को वित्त सदस्‍य के रूप में सम्मिलित किया गया। जेम्‍स विल्‍सन ने पहली बार 7 अप्रैल 1860 को वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में प्रथम बजट प्रस्‍तुत किया। इसीलिए भारत में बजट प्रणाली का संस्थापक जेम्‍स विल्‍सन को माना जाता है।
·         संविधान के अनुच्छेद-112 के अन्‍तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए , जो अप्रैल 1 से 31 मार्च तक चलता है, केन्‍द्र सरकार की अनुमानित प्राप्ति यों तथा व्ययों का एक विवरण पार्लियामेंन्‍ट के सामने रखना आवश्यक होता हे। इस वार्षिक वित्तीय विवरण (संविधान में बजट के लिए प्रयुक्त शब्‍द) को केन्‍द्र सरकार का बजट कहा जाता है। (राज्‍य सरकारों की बजट के संबंध में व्‍यवस्‍था अनुच्छेद 202 में दी गई है।)
·         संघीय बजट की तैयारी और उसे संसद में पेश करने के लिए आर्थिक कार्य विभाग उत्तरदायी हे।
·         राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित तिथि पर लोकसभा में बजट पेश की जाती है। परम्परागत रूप में प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर बजट लोक सभा में पेश की जाती है।
नोट : यदि वार्षिक संघीय बजट लोकसभा द्वारा पारित नहीं होता है तो प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद् का त्यागपत्र पेश कर देता है।
·         प्रारंभ में रेल बजट और आम बजट एक साथ ही प्रस्‍तुत किया जाता था लेकिन 1921 में नियुक्त ऑकवर्थ कमिटी की सिफारिशों के आधार पर 1924 में निर्णय लिया गया कि रेल बजट को आम बजट से अलग प्रस्‍तुत किया जाये और 1925 में पहली बार रेल बजट को अलग बजट से अलग पेश किया जाने लगा। लेकिन 2017 में भाजपा सरकार ने रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने का निर्णय लिया ओर 2017  के रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया गया
·         स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 अक्‍टूबर 1947 को पहले वित्तमंत्री आर. के. षणमुखम शेट्टी द्वारा पेश किया गया था। यह बजट 15 अगस्‍त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के साढे़ सात साल माह की अवधि के लिए था।
·         जॉन मथाई को वर्ष 1950 में गणतंत्र भारत का पहला केन्‍द्रीय बजट पेश करने का गौरव प्राप्‍त हुआ।
·         जवारहलाल नेहरू ने वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया और बजट को पेश करते हुये उन्होंने घोषणा की थी कि अगले वर्ष से बजट 28 फरवरी के दिन ही पेश किया जायेगा।
·         भारत में अभी तक (वर्ष 2013), सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्तमंत्री मोरारजी देसाई थे। उन्होंने 10 बजट पेश किये, जबकि पी. चिदम्‍बरम ने 8 बजट पेश किये ।
·         भारत में बजट सामान्यतः: निम्नलिखित अनुमानों को व्‍यक्‍त करता है।
o    विगत वर्ष के वास्‍तविक प्राप्ति तथा व्‍यय
o    चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान और संशोधित अनुमान
o    आगामी वर्ष के प्रस्‍तावित बजट अनुमान,
इस प्रकार भारत में बजट प्रस्तुतीकरण का संबंध 3 वर्षो के ऑकडों से होता है।

कर (Tax) :
·         कर एक प्रकार का अनिवार्य भुगतान है, जो उस व्‍यक्ति को अनिवार्य रूप से सरकार को देना पडता है जो कर आधार से संबंधित होता है तथा जिसके बदले कर दाता को आवश्यक रूप से कोई लाभ नहीं प्राप्‍त होता। कर आधार से आशय उससे है जिसका आधार बनाकर कर लगाया जाता हे जैसे आयकर का कर आधार आय है।
·         कर दो प्रकार के होते हैं --
o    प्रत्‍यक्ष कर : हम उन करों को प्रत्‍यक्ष कर कहते हैं, जिनकी मौद्रिक तथा वास्‍तविक बोझ अर्थात कर से उत्‍पन्‍न कराघात तथा करापात उसी व्‍यक्ति पर पडते हैं जिनके ऊपर सरकार कर लगाती है।
o    अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर : जिन करों के वास्‍तविक बोझ को विवर्तित किया जा सकता है, उन्‍हें अप्रत्यक्ष कर कहते है।
प्रत्‍यक्ष कर
o    केन्‍द्र सरकार के प्रत्‍यक्ष कर
·         व्यक्तिगत आयकर
·         निगम कर
·         उपहार कर
·  आस्ति कर (Estate duty)
·         व्‍यय कर
·         सम्‍पत्ति कर
·         पूँजी लाभ कर
·         लाभांश कर
·         ब्याज कर
·  प्रतिभूति व्‍यवहार कर आदि
o    राज्‍य सरकार के प्रत्‍यक्ष कर
·         होटल प्राप्‍तियों पर कर
·         भू-राजस्‍व
·         कृषि आय पर
·         व्यवसाय कर
·     गैर-शहरी अचल सम्‍पत्तियों पर कर
·         रोजगारों पर कर
·         पथ कर
अप्रत्यक्ष कर
o    केन्‍द्र सरकार के अप्रत्यक्ष क
·         सीमा शुल्‍क
·         केन्‍द्रीय उत्पाद शुल्‍क
·         केन्‍द्रीय बिक्री कर
·         सेवा कर
o    राज्‍य सरकार के अप्रत्यक्ष कर
·         बिक्री कर/व्‍यापार कर
·         स्‍टाम्‍प एवं पंजीयन शुल्‍क
·         राज्‍य उत्पाद शुल्‍क
·         वाहनों पर कर
·         विज्ञापन पर कर
·         प्रवेश कर
·         शिक्षा उपकर
·         सट्टेबाजी पर कर
·         डीजल पेट्रोल पर बिक्री का

नोट : मूल्‍यवर्धित कर (वेट) सबसे पहले हरियाणा में और सबसे अन्त में उत्तरप्रदेश में लागू किया गया।
·         केन्‍द्र को सर्वाधिक निवल (नेट) राजस्‍व की प्राप्ति सीमा शुल्‍कों से होती है। सीमा शुल्‍क से प्राप्‍त राजस्‍व का बँटवारा राज्यों को नहीं करना होता है।
·         कर ढांचे में सुधार के लिए सुझाव देने हेतु 'चेलैया समिति' का गठन अगस्‍त 1991 में किया गया था।
·         छोटे व्यापारियों के लिए एकमुश्‍त आयकर योजना की सिफारिश चेलैया समिति ने की थी।
·         चेलैया समिति ने गैर-कृषकों की 25 हजार रुपये से अधिक की वार्षिक कृषि आय पर आयकर लगाने की संस्‍तुति की थी।
·         केन्‍द्रीय बिक्री कर एक ऐसा कर है जिसे केन्‍द्र सरकार लगाती है पर जिसकी वसूली राज्‍य सरकार करती है तथा इसकी राजस्‍व प्राप्ति राज्‍य द्वारा ही ले ली जाती है। इसकी शुरूआत 1प्रतिशत की अत्यन्त ही अल्‍प दर से 1982 में शुरू किया गया था।

वस्‍तु एवं सेवा कर  (Goods & Service Tax) :
·         1 जुलाई 2017 से वस्‍तु एवं सेवा कर की व्‍यवस्‍था लागू की गई है। अब तक केन्‍द्र सरकार एवं राज्‍य सरकार या दोनों के द्वारा लगाए जाने वाले सभी कर की जगह सिर्फ एक जीएसटी लगेगा जो सभी वस्‍तुओं एवं सेवा के ऊपर लगेगा। एक वस्‍तु के ऊपर जो भी जीएसटी कर की दर होगी वह पूरे देश में एक ही रहेगी।
·         8 सितम्बर 2016 को अधिसूचित 101वें संविधान संशोधन के द्वारा जीएसटी को लागू किया गया है।
·         जीएसटी के तहत वस्‍तुओं और सेवाओं पर इन दरों पर कर लगेगा, 0.25प्रतिशत, 5प्रतिशत, 12प्रतिशत, 18प्रतिशत एवं 28प्रतिशत। अपरिष्कृत रत्नों और रत्नों पत्थरों पर 0.25प्रतिशत की विशेष दर और सोने पर 3प्रतिशत कर लगेगा।
·         संविधान में जीएसटी की परिभाषा के अनुसार मानव उपभोग के लिए अल्‍कोहल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। दूसरी ओर पॉंच पेट्रोलियम उत्पाद नामतः: कच्चा तेल, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल) हाइस्‍पीड डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टरबाइन ईंधन को अस्थायी रूप से जीएसटी से बाहर रखा गया और जीएसटी परिषद इन पॉंच उत्‍पादों पर जीएसटी लागू करने की तिथि का निर्धारण कर सकती है।
·         जीएसटी लागू करने लिए संसद ने इन विधेयकों को पारित किया :
o    केन्‍द्रीय जीएसटी विधेयक, 2017
o    एकीकृत जीएसटी विधेयक, 2017
o    जीएसटी (राज्यों की क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017 तथा
o    केन्‍द्रशासित प्रदेश जीएसटी विधेयक, 2017
·         जीएसटी से मुक्त वस्‍तुऍं हैं --
o    प्राकृतिक मधु, दूध, फूल, झाडू, खुला खाद्य पदार्थ, लस्सी, खुला पनीर, दही, प्रसाद, जगेरी, नमक, गुड, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं, काजल, चित्रकला की किताबें, शिक्षा सेवाएं, अंडा।
नोट : विश्‍व में सर्वप्रथम फ्रांस ने वर्ष 1954 में अपने यहां जीएसटी लागू किया था।

जीएसटी में समाहित अप्रत्यक्ष कर
क्रम.
केन्‍द्र सरकार
राज्‍य सरकार
1
केन्‍द्र उत्पाद शुल्‍क
राज्‍य वेट
2
उत्पाद शुल्‍क (औषधीय और प्रसाधन सामग्रियॉं)

3
अतिरिक्‍त उत्पाद शुल्‍क (विशेष महत्व की वस्‍तुऍं)
लग्‍जरी कार
4
अतिरिक्‍त उत्पाद शुल्‍क (कपड़ा और कपड़ा उत्पाद)
प्रवेश कर
5
अतिरिक्‍त कर
मनोरंजन कर (तब नहीं जब वह स्थानीय निकायों द्वारा वसूला जाए)
6
विशेष अतिरिक्‍त तटकर
विज्ञापन कर
7
सेवा कर
विक्रय कर
8
केन्‍द्रीय अधिभार और उपकर जब तक कि वे वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति से संबंधित हो।
लॉटरी, सट्टे और जूए से जुडे कर
9

राज्‍य स्तरीय अधिभार और उपकर जब तक कि वे वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति से संबंधित हो।




भारत में प्रतिभूति-मुद्रण एवं सिक्कों का उत्‍पादन :
1.   इण्डिया सिक्‍योरिटी प्रेस, नासिक (महाराष्‍ट्र) : नासिक रोड स्थित भारत प्रतिभूति मुद्रणालय में डाक सम्बन्धी लेखन सामग्री, डाक एवं डाक भिन्न टिकटों, अदालती एवं गैर-अदालती स्‍टाम्‍पों, बैंकों के चेकों, बॉण्‍डों, राष्‍ट्रीय बचत पत्रों, पोस्‍टल आर्डर, पासपोर्ट, इंदिरा विकास पत्रों, किसान विकास पत्रों आदि के अलावा राज्यों सरकार, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों, वित्तीय निगमों  आदि के प्रतिभूति पत्रों की छपाई की जाती है।
2.   सिक्‍योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस हैदराबाद : सिक्‍योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस हैदराबाद की स्‍थापना दक्षिण राज्यों की डाक लेखन सामग्री की मॉगो को पुरा करने व पूरे देश की केन्‍द्रीय उत्पाद शुल्क स्‍टाम्‍प की मॉंग को पूरा करने के लिए 1982 में की गई थी, ताकि भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक रोड के उत्‍पादन की अनु पूर्ति की जा सके।
3.   करेन्‍सी नोट प्रेस, नासिक (महाराष्‍ट्र) : नासिक रोड स्थित करेन्‍सी नोट प्रेस 10, 50, 100, 500, 1000 रुपये के बैंक नोट छापती है और उनकी पूर्ति करती है।
4.   बैंक नोट प्रेस, देवास (मध्‍यप्रदेश) : देवास स्थित बैंक नोट प्रेस 20 रुपये, 50 रुपये, 100रुपये के और उच्‍च मूल्‍य वर्ग के नोट छापती है। बैंक नोट प्रेस का स्याही का कारखाना प्रतिभूति पत्रों  की स्याही का निर्माण भी करता हे।
5.   शाहबनी (पश्चिम बंगाल) तथा मैसुर (कर्नाटक) के भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड : दो नये एवं अत्याधुनिक करेन्‍सी नोट प्रेस मैसुर तथा साल्‍वोनी में स्‍थापित किय गये हे, यहां आरबीआई के नियंत्रण मं करेन्‍सी नोट छापे जाते है।
6.   सिक्‍यूरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद (मध्‍यप्रदेश) : बैंक और करेन्‍सी नोट कागज तथा नॉन-ज्‍यूडिशियल स्‍टाम्‍प पेपर की छपाई में प्रयोग होने वाले कागज का उत्‍पादन करने लिए सिक्‍यूरिटी पेपर मिल होशंगाबाद में 1967-68 में चालू की गई थी।
टकसाल (Mints) : सिक्कों का उत्‍पादन करने तथा सोने और चांदी की परख करने एवं तमगों का उत्‍पादन करने के लिए भारत सरकार की चार टकसालें मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद तथा नोएडा में स्थित हैं। मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता की टकसालें काफी समय पहले क्रमश: 1830, 1903 और 1950 में स्‍थापित की गई थी, जबकि नोएडा की टकसाल 1989 में स्‍थापित की गई थी। मुंबई तथा कोलकाता की टकसालों में सिक्कों के अलावा विभिन्‍न प्रकार के पदकों (मैडल) का भी उत्‍पादन किया जाता है। 

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