Thursday, June 14, 2018

नई आर्थिक नीति


नई आर्थिक नीति 


·         नई आर्थिक नीति आर्थिक सुधार से सम्बन्धित है, जिसका उद्देश्‍य उत्पादित में सुधार, नई तकनीक को आत्मसात करना था समग्र रूप से क्षमता के पूर्णतः: प्रयोग को एक राष्‍ट्रीय अभियान का रूप देना है।
·         नई आर्थिक सुधार की रूपरेखा सर्वप्रथम राजीव गॉंधी के प्रधानमंत्री काल में सन् 1985 में बनायी एवं शुरू हो गई।
·         नई आर्थिक सुधार की दूसरी लहर पी. वी. नरसिंहा राव की सरका के काल में सन् 1991 में आयी।
·         नई आर्थिक सुधार नीति 1991 को शुरू करने का प्रमुख कारण खाड़ी युद्ध तथा भारत के भुगतान संतुलन की समस्या थी।
·         नई आर्थिक नीति के तीन प्रमुख आयाम थे --
o    निजीकरण
o    उदारीकरण
o    विश्‍वव्‍यापीकरण
·         नई आर्थिक सुधार नीति के मुख्‍य क्षेत्र थे--
o    राजकोषीय नीति
o    मौद्रिक नीति
o    मूल्‍य निर्धारण नीति
o    औद्योगिक नीति
o    विदेशी विनियोग नीति
o    व्‍यापार नीति
o    सार्वजनिक क्षेत्र नीति
·         राजकोषीय नीति 1991 के तहत मुख्यतः: चार कदम उठाये गये --
o    सार्वजनिक व्‍यय को सख्ती से नियंत्रित करना
o    कर एवं कर भिन्न राजस्‍व को बढाना
o    केन्‍द्र तथा राज्‍य सरकारों पर राजकोषीय अनुशासन लागू करना
o    अनुदान राशि में कटौती करना।
·         मौद्रिक नीति 1991 के तहत स्‍फीतिकारी दबावों के लिए प्रतिबंधात्मक उपाय किये गये।
·         औद्योगिक सुधार नीति 1991 के अधीन जिन उपायों को लागू किया गया वे है --
o    18 उद्योगों की सूची को छोड अन्‍य सभी उद्योगों के लिए लाइसेंस के लिए लाइसेंस हटा दिये गये।
o    एम.आर.टी.पी. कम्‍पनियों को विनियोग हेतु एम.आर.टी.पी. आयोग से मुक्त कर दिया गया।
o    सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित क्रियाओं का दायरा सीमित कर दिया गया तथा उक्त क्षेत्र में निजी क्षेत्र को अनुमति दी गई।
·         विदेशी विनियोग नीति 1991 के तहत जिन सुधारों को लक्ष्‍यबद्ध किया गया वे है---
o    बहुत से उद्योगों में 51प्रतिशत विदेशी हिस्‍सा पूँजी के स्वामित्व की सीमा तक प्रत्‍यक्ष विदेशी विनियोग की स्वतः: स्वीकृति दी गई।
o    निर्यात में लगी विदेशी व्‍यापार कम्‍पनी को 51 प्रतिशत तक हिस्‍सा पूँजी लगाने की अनुमति होगी।
o    सरकार उच्‍च प्राथमिकता वाले उद्योगों में तकनीकी संधि यों के लिए स्वतः: स्वीकृति प्रदान करेगी।
·         व्‍यापार नीति 1991 के तहत, अर्थव्‍यवस्‍था के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एकीकरण को प्रोन्‍नत करते हेतु उद्योग को प्राप्‍त अत्‍यधिक व अविवेकपूर्ण संरक्षण धीरे-धीरे समाप्‍त करने की दिशा मं कदम उठाए गये।
·         सार्वजनिक क्षेत्र संबंधी नीति 1991 के तहत, उद्योग में कार्यकुशलता तथा बाजार अनुशासन लाने के लिए जिन उपायों को लागू किया वे है --
o    आरक्षित उद्योगों की संख्‍या घटाकर 8 कर दी गई थी। (वर्तमान केवल 2 उघोग)
o    जीर्ण उद्योगों के पुनरुत्थान का कार्य औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निमाण बोर्ड को सौंप दिया गया।
o    सार्वजनिक उद्योग के निष्पादन में उन्नति के लिए उद्योग को बोध ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से मजबूत किया गया।
o    श्रमिकों की संख्‍या कम करने के लिए स्‍वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजनाएं आरंभ की गई।
·         नई आर्थिक सुधार नीति सन् 1991 से आगे बढ़ते हुये अब तक काफी खुली, उदार तथा वैश्‍वीकृत हो चूकी है। वर्तमान में नई औद्योगिक नीति के तहत आरक्षित उद्योगों की संख्‍या दो है--
o    परमाणु ऊर्जा
o    रेल परिवहन
·         सन् 1996 में विनिवेश मुद्दे पर समीक्षा, सुझाव तथा विनियमन के लिए विनिवेश कमीशन का गठन किया गया था। इसके पहले अध्यक्ष जी. वी. रामकृष्‍ण थे।
·         सन् 1992 में राष्‍ट्रीय नवीनीकरण निधि की स्‍थापना की गई।
·         'नवरत्न' वैसी कम्‍पनियॉं हैं, जो विश्‍वस्‍तरीय कम्‍पनियों के रूप मं उभर रही हैं, तथा जिसे सरकार के प्रोत्‍साहित करने के उद्देश्‍य से पूर्ण स्‍वायत्तता प्रदान की है। ऐसे कुल 23 कम्‍पनियॉं है जिसमें से 7 कम्‍पनियॉं को 'महारत्न' कम्‍पनी का दर्जा दिया गया।
·         दूसरे चरण के आर्थिक सुधार कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्‍य 7 में 8 प्रतिशत वृद्धि-दर से निरन्‍तर समान एवं रोजगार सृजनकारी दिशा में विकास तथा देश से गरीबी का उन्मूलन करना है


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