Thursday, June 14, 2018

विदेशी व्‍यापार एवं भुगतान संतुलन


विदेशी व्‍यापार एवं भुगतान संतुलन


विदेशी व्‍यापार दो देशों के बीच आर्थिक संबंधों को जन्म देता है तथा उन्हें आर्थिक दृष्टि से एक-दूसरे के नजदीक लाता है। विदेशी व्‍यापार खुली अर्थव्यवस्था का परिणाम है। स्वतंत्रता के उपरान्त भारत के विदेशी व्‍यापार के उत्तरोतर वृद्धि हुई है। यह वृद्धि व्‍यापार की मात्रा एवं मुल्‍य दोनों में हुई है।
·         19 जनवरी 2016 को प्रकाशित W.E.O. (World Economic Outlook) के नवीनतम प्रकाशन में I.M.E. के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था 2015 में 3.1प्रतिशत से बढकर 2016 में 3.4प्रतिशत हो गयी।
·         अद्यतन ऑंकडों के अनुसार विश्‍व व्‍यापार वृद्धि अनुमानों को 2016 तथा 2017 में क्रमश: 3.4प्रतिशत तथा 4.1प्रतिशत पर रखा गया है जो डब्‍लू ई ओ के अक्‍टूबर 2015 के अनुमान से क्रमश: 0.7 प्रतिशतांक बिन्‍दु से 0.5प्रतिशतांक बिन्‍दु तक कम है।
·         वैश्विक आर्थिक अनुमान संबंधी विश्‍व बैंक की रिपोर्ट (जनवरी 2016) का अनुमान है कि भारत 2016 में 7.8प्रतिशत तथा आगामी 2 वर्षो में 7.9प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा।
विश्‍व व्‍यापार और भारत
·         भारत क रैंकिग विश्‍व व्‍यापार संगठन के अनुसार, निर्यात में 2004 की 30वीं रैंक से सुधरकर वर्ष 2015 में 19वी रैंक और उन्‍ही वर्षो में आयात में 23वीं रैंक से सुधरकर 13वीं रैंक हो गई।
·         भारत के कुल माल व्‍यापार से जीडीपी अनुपात में भी वर्ष 2004-05 के 29.0प्रतिशत से 2015-16 में 36.9प्रतिशत पर आ गया।
·         वर्ष 2016-17 में देश के निर्यात 274.645 बिलियन डॉलर के रहे जो वर्ष 2015-16 की इसी अवधि की तुलना में 4.71प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते है।
·         वर्ष 2016-17 में देश के आयात 380.367 बिलियन डॉलर के रहे जो वर्ष 2015-16 की इसी अवधि की तुलना में 0.17प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि दर्शाता है।
·         वर्ष 2016-17 में देश का व्‍यापार घाटा 105.722 अरब डॉलर के रहा जबकि वर्ष 2015-16 की इसी अवधि की तुलना यह घाटा 118.716 बिलियन डॉलर रिकार्ड किया गया था। 
·         विश्‍व व्‍यापार संगठन (डब्‍लूटीओ) के ऑंकडों के अनुसार वस्‍तुओ एवं सेवाओं के कुल वैश्विक निर्यातों में भारत का अंश विगत तीन वर्षो में (2013-14-15में) 2.0प्रतिशत बना हुआ है, जो इसे पूर्व 2011-12 में 1.9प्रतिशत था। विश्‍व व्‍यापार संगठन के इन ऑंकडों के हवाले से वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय की 28 नवम्‍बर 1016 की विज्ञप्ति में बताया गया है कि वैश्विक वस्‍तुगत निर्यातों में भारत का अंश 2015 में 1.6प्रतिशत था। जबकि वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात के मामले में यह अंश 3.3प्रतिशत था।
·         विश्‍व व्‍यापार संगठन की ट्रेड प्रोफाइल 2016 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में विश्‍व की सेवाओं के कुल निर्यात में भारत की हिस्‍सेदारी 3.27प्रतिशत तथा आयातों में 2.65प्रतिशत रही।


व्‍यापार की दिशा
·         विदेशी व्‍यापार की दिशा से आशय निर्यात के गंतव्‍य स्‍थल तथा आयात के स्‍त्रोत से है। भारत की विदेशी व्‍यापार की दिशा में लगातार परिवर्तन परिलक्षित हो रहा है।
·         भारत के व्‍यापार की दिशा में चीन को होने वाले निर्यात तथा चीन से होने वाले आयातों में महत्‍वपूर्ण अन्‍तराल है। भारत के आयातों में चीन की हिस्‍सेदारी 16.5प्रतिशत है, ज‍बकि भारत के निर्यातों में चीन की हिस्‍सेदारी मात्र 3.3प्रतिशत है।
·         निर्यातों में अमरीका भारतीय वस्‍तुओ का सबसे बड़ा खरीददार देश है। जिसकी भारत के कुल निर्यातों में 16प्रतिशत से अधिक की हिस्‍सेदारी है।
·         चीन के बाद अमेरिका, सऊदी अरब तथा यू.ए.ई. भारत के अन्‍य प्रमुख आयात के स्‍त्रोत वाले देश है।
·         भुगतान संतुलन : भुगतान संतुलन का तात्‍पर्य किसी देश का अन्‍य देश के निवासियों के साथ एक वर्ष की अवधि में समस्‍त लेन-देन होता है। भुगतान संतुलन खाते के दो भाग हाते है--
o    चालू खाता
o    पूँजी खाता
·         चालू खाते के अन्‍तर्गत वस्‍तुगत व्‍यापार (आयात + निर्यात) के साथ-साथ मदों (बीमा, परिवहन, पर्यटन, उपहार आदि) की लेनदारियों व देनदारियों को सम्मिलित किया जाता है।
·         पूँजी खाते में पूँजीगत लेन-देन (ऋणों की प्राप्तियॉं व अदायगियॉ, करेन्‍सी लदान, स्‍वर्ण हस्‍तान्‍तरण आदि) की प्रविष्‍ठयॉं की जाती है।
·         अर्थव्‍यवस्‍था की सुदृढता की स्थिति जानने के लिए चालू खाते का संतुलन अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण होता है। भारत का व्‍यापार संतुलन निरन्‍तर प्रतिकूल बने रहने के कारण चालू खाते में घाटे की स्थिति निरन्‍तर बनी हुई है।
·         चालू खाते के घाटे में तात्‍पर्य भुगतान संतुलन के चालु खाते में विदशों से कुल प्राप्‍तियों पर विदेशों के लिए कुल देयताओं के अधिक्‍य से है। विदेशों से प्राप्तियॉं देयताओं की तुलना में अधिक रहने से चालु खाते में अधिक्‍य की स्थिति मानी जाती है।
·         चालू खाते में घाटा रहने पर उसकी भरपाई पूँजी खाते में आधिक्‍य प्राप्‍त कर की जाती है। पूँजी खाते की प्राप्तियॉं में विदेशी निवेश की प्राप्तियॉं व विदेशी ऋणों की प्राप्तियॉं आदि पूँजीगत प्राप्तियॉं शामिल रहती है।

भारत के चालू खाते के घाटे में सुधार :
·         चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 की पहली छमाही में भारत के विदेशी व्‍यापार घाटे में कमी आने के परिणामस्‍वरूप इस अवधि में देश के चालू खाते के घाटे में कमी आई है। इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक की 13 दिसम्‍बर 2016 की एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि 2016-17 की दूसरी तिमाही (जूलाई-सितम्‍बर 2016) में चालू खाते का घाटा कम हो कर 3.4 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6प्रतिशत) ही रहा। पूर्व वर्ष की समान अवधि (जूलाई-सितम्‍बर 2015) में यह 8.5 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.7प्रतिशत) था।
·         नोट : भुगतान संतुलन में सुधार हेतु रिजर्व बैंक द्वारा 19 अगस्‍त 1994 को रुपये को चालू खाते में पूर्ण परिवर्तनीय घोषित कर दिया गया। पूँजी खाते में रुपए की पूर्ण परिवर्तनीयता से सम्‍बद्ध विभिन्‍न पहलुओं पर विचार हेतु आरबीआई के पूर्व डिप्‍टी गर्वनर एस.एस. तारापोर की अध्‍यक्षता में समिति का गठन 20 मार्च 2006 का किया गया था।

व्‍यापार नीति
·         2015-16 के केन्‍द्रीय बजट में निर्यातों को बढावा देने के लिए 2015-2020 की अवधि के लिए नई विदेश व्‍यापार नीति (एफटीपी) की जिक्र की गई।
·         2015-2020 की अवधि के लिए नई विदेश व्‍यापार नीति की घोषणा 1 अप्रैल 2015 को की गई। इसमें विनिर्माण और सेवा निर्यात दोनो में सहायता प्रदान करना तथा व्‍यापार की अधिक सुलभ बनाने पर जोर दिया गया है।
·         नई विदेश व्‍यापार नीति का लक्ष्य  2019-20 तक भारत के निर्यात को 900 बिलियन अमेरिका  डॉलर तक बढाना है; इससे विश्‍व व्‍यापार में भारत की हिस्‍सेदारी 2प्रतिशत से बढकर 3.5प्रतिशत तक हो सकेगी।


विदेशी मुद्रा भंडार
·         भारत के विदेश विनिमय रिजर्व में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), स्‍वर्ण, विशेष आहरण अधिकार पत्र (एसडीआर) और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रिजर्व ट्रांस पोजिशन (आरटीपी) आते है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों को प्रमुख करेंसियों जैसे अमेरिका डॉलर, युरो, पाउंडस्‍टर्लिंग, कनेडियन डॉलर, आस्‍ट्रेलियाई डॉलर और जापानी येन आदि में रखा जाता है। अमेरिका डॉलर और युरो, दोनों हस्‍तक्षेप करेंसियों हैं यद्यपि मुद्रा भंडार को केवल अमेरिका डॉलर में अभिव्‍यक्‍त किया जाता है। जो इस प्रयोजन हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय मूल्‍यमान है।
·         31 मार्च 2017 के अंत में कुल विदेशी मुद्रा कोष 369.955 अरब डॉलर था।
·         31 मार्च 2017 की समाप्ति पर भारत का कुल विदेशी ऋण भंडार 471.9 बिलियन अमेरिका डॉलर था जो जो मार्च 2016 की तुलना में 13.1 बिलियन (2.7प्रतिशत) कम है।

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