Thursday, June 14, 2018

महत्‍वपूर्ण आर्थिक शब्‍दावली


महत्‍वपूर्ण आर्थिक शब्‍दावली


1.   समष्टि तथा व्यष्टि अर्थशास्‍त्र (मैंक्रो तथा माइक्रो इकोनामिक्‍स) : अर्थशास्‍त्री, अर्थव्‍यवस्‍था को दो तरीके से देखते है, समष्टि(मैंक्रो) अर्थशास्‍त्र तथा व्‍यष्टि(माइक्रो) अर्थशास्‍त्र। मैंको अर्थशास्‍त्र (यूनानी भाषा में मैंक्रो का अर्थ  वृहद होता है) अर्थव्‍यवस्‍था की गतिविधियों को एक समग्र रूप में देखता है, जैसे मुद्रास्‍फीति रोजगार की दर, आर्थिक विकास, व्‍यापार संतुलन आदि। व्‍यष्टि(माइक्रो)अर्थशास्‍त्र (यूनानी भाषा में व्‍यष्टि का अर्थ छोटा होता है। इकाइयों के गतिविधियों का अध्‍ययन है, जैसे व्‍यक्ति, परिवार, कम्‍पनियॉं, एक विशेष उद्योग; जो मिलकर एक अर्थव्‍यवस्‍था का निर्माण करते है।
नोट : 1933 में अर्थशास्‍त्र में मैक्रो और माइक्रों शब्‍द का प्रयोग सर्वप्रथम रगनार फ्रिस्‍क ने किय था।
1.   भारत की संप्रभु रेटिंग : वर्तमान में भारत का छह अन्‍तर्राष्‍ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों स्‍टैंडर्ड एंड पूर्वस (एस एण्‍ड पी), मुडीज इनवेस्‍टर्स सर्विसेज, फिच, डोमिनयम बॉन्‍ड रेटिंग सर्विस(डीबीआरएस), जापानी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (जेसीआरए) और रेटिंग एंड इनवेस्‍टमेंट इनफॉर्मेशन इंक टोक्‍यो (टीआईएम) रेटिंग देती है। इन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की सूचना के प्रवाह को सुव्‍यवस्थित किया गया है।
2.   टोबिन कर : यह नोबेल पुरस्‍कार विजेता अर्थशास्‍त्री जेम्‍स टोबिन द्वारा प्रस्‍तावित किया गया है। यह प्रस्‍तावित लघु कर सभी विदेशी विनिमय बाजार में अस्थिरता को रोका जा सके। टोबिन कर दुनिया भर में कही भी कार्यान्वित नहीं किया गया।
3.   कर्ब डीलिंग : शेयर बाजार के बाहर होने वाले सभी व्‍यापार को कर्ब डींलिंग कहते है।
4.   बजट : किसी संस्‍था या सरकार के एक वर्ष की अनुमानित आय-व्‍यय का लेखा-जोखा बजट कहलाता है, सरकार का बजट अब केवल आय-व्‍यय का विवरण मात्र ही नहीं होता, अपितु यह सरकार के क्रिया-कलापों एवं नीतियों का विवरण भी है। यह आधुनिक काल में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का साधन भी बन गया है।
5.   बफर स्‍टॉक : आपात स्थिति में किसी वस्‍तु की कमी को पूरा करने क लिए वस्‍तु का स्‍टॉंक तैयार करना बफर स्‍टॉक कहलाता है।
6.   तेजडिया और मंदडिया : यह स्‍टॉंक एक्‍सचेंस के शब्‍द हैं, जो व्‍यक्ति स्‍टॉक की कीमतें बढाना चाहता है, तेजडिंया कहलाता है, जो व्‍यक्ति स्‍टॉंक कीमतें गिरने की आशा करके किसी वस्‍तु को भविष्‍य में देने का वायदा करके बेचता है, यह मं‍दडिया कहलाता है।
7.   क्रेता बाजार : जब किसी वस्‍तु की मॉग कम तथा पूर्ति अधिक होती है, जो विक्रेता की तुलना में क्रेता बेहतर स्थिती में होता है, ऐसे बाजार को क्रेता बाजार कहते है।
8.   ब्रिज लोन : कम्‍पनियॉं प्राय: अपनी पूँजी का विस्‍तार करने के लिए नये शेयर तथा डिबेंचर्स जारी करती है, कम्‍पनी को शेयर जारी करके पूँजी जुटाने में तीन माह से भी अधिक समय लगता है। इस समयावधि में अपना काम जारी रखने के लिए कम्‍पनियॉं बैंकों से अन्‍तरिम अवधि के लिए ऋण प्राप्‍त कर लेती है। इस प्रकार के ऋणों को ब्रिज लोन कहते है।
9.   फ्लोटिंग ऑफ करेंसी : किसी मुद्रा की विनिमय दर को स्‍वतन्‍त्र छोड देना, ताकि मॉंग और पूर्ति की दशओं के आधार पर वह अपना नया मूल्‍य स्‍वयं तय कर सके।
10. अवमूल्‍यन : यदि किसी मुद्रा का विनिमय मूल्‍य अन्‍रू मुद्राओं की तुलना में जान-बुझकर कम कर दिया जाता है, तो इसे उस मुद्रा का अवमूल्‍यन कहते है। यह अवमूल्‍यन परिस्थितियों के अनुसार सरकार स्‍वयं करती है।
11. विमुद्रीकरण : जब काला धन बढ जाता है और अर्थव्‍यवस्‍था के लिए खतरा बन जाता है, तो इसे दूर करने के लिए विमुद्रीकरण की विधि अपनाई जाती है, इसके अन्‍तर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्‍त कर देती है और नई मुदा चालू कर देती है। जिनके पास काला धन होता है, वह उसके बदले में नई मुदा लेने का साहस नहीं जुटा पाते हैं और काला धन स्‍वयं ही नष्‍ट हो जाता है।
12. मुद्रा संकुचन : जब बाजार मं मुद्रा की कमी के कारण कीमतें गिर जाती है, उत्‍पादन व व्‍यापार गिर जाता है और बेरोजगारी बढती है, वह अवस्‍था मुद्रा-संकुचन कहलाती है।
13. एस्‍टेट ड्यूटी : किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु के पश्‍चात् असकी सम्‍पत्ति के हस्‍तान्‍तरण के समय जो कर उस सम्‍पत्ति पर लगाया जाता है, उसे एस्‍टेट ड्यूटी कहते है।
14. हीनार्थ प्रबन्‍धन : जब सरकार का बजट घाटें का होता है, अर्थात आय कम होती है, और व्‍यय अधिक होता है और व्‍यय के इस अधिक्‍य को केन्‍द्रीय बैंक से ऋण लेकर अथवा अतिरिक्‍त पत्र मुद्रा निर्गमित कर पूरा किया जाता है, तो यह व्‍यवस्‍था घाटे की वित्त व्‍यवस्‍था अथवा हीनार्थ प्रबन्‍धन कहलाती है। सीमित यात्रा में ही इसे उचित माना जाता है, हीनार्थ प्रबन्‍धन को स्‍थायी नीति बना लेने के परिणाम अच्‍छे नहीं होते।
15. स्‍वर्ण मान : जब किसी देश की प्रधान मुद्रा स्‍वर्ण में परिवर्तनशील होती है, अथवा मुद्रा का मूल्‍य सोने में मापा जाता है, तो इस मौद्रिक व्‍यवस्‍था को स्‍वर्ण मान कहते है, अब किसी देश में स्‍वर्ण मान नहीं है।
16. मुद्रास्‍फीति : मुदा-प्रसार या मुद्रास्‍फीति वह अवस्‍था है जिसमें मुद्रा का मूल्‍य गिर जाता है और कीमतें बढ जाती है, आर्थिक दृष्टि से सीमित एवं नियंत्रित मुद्रास्‍फीति अल्‍प-विकसित अर्थव्‍यवस्‍था हेतु लाभदायक होती है, क्योंकि उससे उत्‍पादन में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है, किन्तु एक सीमा से अधिक मुद्रास्‍फीति हानिकारक है। मुद्रास्‍फीति को अस्थायी तौर पर नियंत्रित करने के लिए मुद्रा-आपूर्ति की कमी का प्रयोग किया जा सकता है।
17. रिसेशन : रिसेशन से तात्‍पर्य मन्‍दी की अवस्‍था से है, जब वस्‍तुओं की पूर्ति की तुलना में मॉंग कम हो तो रिसेशन की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। ऐसी स्थिति में धनाभाव के कारण लोगों की क्रय-शक्ति कम होती है और उत्पादित वस्‍तुऍं अनबिकी रह जाती है, इससे उघोग को बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है, बेरोजगारी बढ जाती है। 1930 के दशक में विश्वव्यापी रिसेशन की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई थी।
18. प्राइमरी गोल्‍ड : 24 कैरेट के शुद्ध सोने को प्राइमरी गोल्‍ड कहते है।
19. स्‍टैगफ्लेशन : यह अर्थव्‍यवस्‍था की ऐसी स्थिति है जिसमें मुद्रास्‍फीति के साथ-साथ मंदी की स्थिति होती है।
20. टैरिफ : किसी देश द्वारा आयातों पर लगाये गये कर को ही टैरिफ कहा जाता है।
21. मुद्रा अपस्‍फीति अथवा विस्‍फीति : मुद्रास्‍फीति पर नियंत्रण लाने हेतु जो प्रयास किये जाते है (जैसे साख-नियंत्रण) उनके परिणामस्‍वरूप मुद्रास्‍फीति की दर घटने लगती है, यह स्थिती मुद्रा अपस्‍फीति अथवा विस्‍फीति की स्थिति कहलाती है। इस स्थिति में यद्यपि मूल्‍य-स्‍तर गिरता है तथापि यह सामान्‍य मूल्‍य स्‍तर से ऊपर ही रहता है।
22. एक्टिव शेयर : वैसे शेयर जिनका क्रय-विक्रय नियमित रूप से प्रतिदिन शेयर बाजार में होता है एक्टिव शेयर कहलाते है।
23. राइट शेयर : किसी कम्‍पनी द्वारा जारी नये शेयरों को क्रय करने का पहला अधिकार वर्तमान शेयर होल्डर को होता है। वर्तमान शेयरहोल्डर के इस अधिकार को पूर्ण क्रय का अधिकार कहा जाता है। तथा इस अधिकार के कारण उनको जो शेयर प्राप्‍त होता है, उसे राइट शेयर कहा जाता है।
24. बोनस शेयर : जब किसी कम्‍पनी द्वारा अपने अर्जित लाभों में से रखे नये रिजर्व को शेयर के रूपर में वर्तमान शेयरहोल्डरों के मध्‍य आनुपातिक रूपर से बांट दिया जाता है तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है।
25. ब्‍लो आउट : जब कोई कंपनी अपना नया इश्‍यू जारी करती है और उसका सब्‍सक्रिप्‍शन पहले ही दिन पूरा होकर बंद हो जाता है तो उसे ब्‍लो आउट या आउट ऑफ विंडो कहा जाता है।
26. इनसाइडर ट्रेडिंग : यह एक अवैध कार्य है। जब उन व्यक्तियों द्वारा भारी मात्रा में शेयरों का क्रय-विक्रय करके लाभ कमाया जाता है, जिनके पास कम्‍पनियों की गुप्त सूचनाएं रहती हैं, तो इस प्रकार के शेयरों के क्रय-विक्रय को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है।
27. कैश ट्रेडिंग : कैश ट्रैडिंग के अन्‍तर्गत शेयर सर्टिफिकेट तथा नगद धनराशि का लेन-देन अगली समायोजन तिथि से पहले ही हो जाना चाहिए। जब दलालों के सभी कैश ट्रेडिंग के लेन-देनों का समायोजन हो जाता है तो इस समायोजन तिथि कहा जाता है। परन्‍तु यह 14 दिन से अधिक नहीं हो सकती है।
28. स्‍टैग : स्‍टैग उन व्यक्तियों को कहते हैं, जो नई कंपनियों के इश्‍यू में भारी मात्रा में शेयरों के आवेदन-पत्र प्रेषित करते है। इनको यह आशा रहती है कि जब कुछ व्यक्तियों को शेयर नहीं मिलेंगे तो वे इन शेयरों को बड़े मूल्‍य पर खरीदने को तैयार हो जायेंगे। इस व्‍यक्ति केवल आवेदन पत्र की राशि प्रेषित करते है तथा शेयर आवंटित होते ही बेच देते है।
29. बदला : जब कोई दलाल भविष्‍य के लिए सौदा करता है, परन्‍तु भविष्‍य की तिथि पर सौदा पूरा न करके आगे के लिए खिसकता रहता है तो कार्य के लिए उसे जो चार्ज देने पडते है, उसे बदला कहा जाता है। यदि यह कार्य तेजडि़यों द्वारा किया जाता है, तो इसे सीधा बदला तथा मंदडि़यों द्वारा किया जाता है तो इसको अंधा बदला कहा जाता है।
30. फ्लोटिंग स्‍टॉक : किसी कंपनी की चूकता पूँजी का वह भाग फ्लोटिंग स्‍टॉक कहलाता है जो शेयर बाजार में क्रय विक्रय के लिए उपलब्‍ध रहता है।
31. ग्रे मार्केट : यह अनाधिकृत बाजार होता है, जहॉ नयी तथा अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध न हुई प्रतिभूतियों का प्रीमियम पर लेन-देन होता है। ये सौदे भी अनाधिकृत होते है। इन सौदों को शेयर का संरक्षण नहीं होता है।
32. ट्रेडिंग लॉट : शेयरों की वह न्‍यूनतम संख्‍या या गुणांक को ट्रेडिंग लॉट कहा जाता है, जिसे शेयर बाजार में एक बार में बेचा या क्रय किया जा सकता है। सामान्‍यत: 10 रुपये मूल्‍य वाले शेयरों की न्‍यूनतम संख्‍या 50 से 100 निर्धारित की जाती है, जबकि 100 रुपये मूल्‍य वाले शेयरों की संख्‍या 5 या 10 निर्धारित की जाती है।
33. शॉर्ट सेलिंग : जब किसी दलाल द्वारा इतने शेयरों की बिक्री की जाती है, जितने इसके पास शेयर नहीं होते है तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है। अनुबंध पूरा करने के लिए दलाल द्वारा नीलमी में शेयर क्रय किये जाते है।

नई आर्थिक सुधार नीति से सम्‍बद्ध कुछ महत्‍वपूर्ण शब्‍दावली
·         निजीकरण : सार्वजनिक क्षेत्र में पूँजी या प्रबंधन या दोनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढाना अथवा उन्‍हें निजी क्षेत्र को सौंप देना ही निजीकरण है।
·         उदारीकरण : उदारीकरण, सरकारी नियंत्रण को शिथिल या समाप्‍त करने क्रिया विधि है। इसके अन्‍तर्गत निजीकरण भी शामिल होता है।
·         विश्‍वव्‍यापीकरण : किसी अर्थव्‍यवस्‍था को विश्‍व-अर्थव्‍यवस्‍था से जोड़ने की क्रिया ही विश्‍वव्‍यापीकरण है। ऐसा करने से उक्‍त्त क्षेत्र में निजी कार्यकुशलता तथा बाहरी तकनीकी ज्ञान प्राप्‍त होते हैं।
·         विनिवेश : सरकारी क्षेत्र में सरकारी हिस्‍सेदारी को कम करना ही विनिवेश कहलाती है।

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